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सिरदर्द, हैडफोन और पागल लड़की


सुबह 6 : 30 बजे : "तुम उठोगे नहीं। सात बजने वाले हैं।" वो मेरी माँ थीं। "तैनू जगाण दे लईं सारा मुल्क लगूगा।"(तुझे जगाने के लिए सारा देश लगेगा।)
ऐसा नहीं है मॉम। You are not UNDERSTANDING it SERIOUSLY। मैं रात किसी सपने में उलझ गया था। अरे, वही खुले बालों वाला किस्सा। वही आँखों का काजल और डरावनी आँखें। But don't worry, I love her beautiful eyes. अगली बार उससे सपने में हिसाब-किताब कर लूँगा। आखिर वो समझती क्या है अपने आप को!

7 : 30 बजे : एक्सरसाइज करते हुए पन्द्रह मिनट हुए। पौने आठ बजे, स्नान किया। जब शेड्यूल गड़बड़ा जाए तो क्या कर सकते हैं। 

9 : 00 बजे : बार-बार ट्राय करता रहा, असफल रहा। मुझे वह फोल्डर नहीं मिला जिसमें मैंने उस फोटो को सेव किया था जिसमें दो दोस्त थे जिनके बाल मैंने कलर किये थे। वह सब फोटोशॉप का कमाल था। so annoying। लेकिन मैंने वह काम किया था जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। दरअसल उन्होंने मुझसे ऐसा करने के लिए कहा था जब उन्हें मैंने बताया कि फोटोशॉप में बहुत कुछ किया जा सकता है। मैंने उन्हें उस फोटो को दिखाया जिसमें एक काली लड़की को मैंने साँवली बना दिया था, ऊपर से उसके गाल पर dimple उकेर दिया था। ठोड़ी पर एक तिल उगा दिया था। है न कमाल का काम। 

"मेरे बाल इधर से ग्रे, उधर से थोड़े रेडिश कर देना।"

"तुम्हारे कैसे करूँ?" दूसरे से पूछा।

उसके कहने पर उसके आधे बाल brown तो बाकी सफेदी लिए कर दिए। मुझे तो उतना बढ़िया नहीं लगा। लेकिन उनके चेहरे चमक उठे।

अब उस फोटो को मुझे बिना बाल वाला करना था। उन्होंने इस बार दोस्ती की ऐसी-ऐसी कसमें दीं कि मैं मना न कर सका।

10 : 00 बजे : सर्दी का सितम कम हुआ। मौजे फिर भी कमरे में पहनने पड़ रहे हैं। हद है, बाहर भी मौजे, घर में भी मौजे। कोई मौज-वौज नहीं, सब मोह माया है मेरे दोस्त!😊

11 : 00 बजे : पानी उबल कर ठंडा हो रहा है। अपुन इतने में कुछ किताबों की फोटू-शोटू लेने में बिज़ी हो गया। क्या खाली-पीली कर लेयरा है बीड़ू, कुछ ज़्यादा मगज़ मारी नहीं हो लेयरी न भाई। 

"ये लो बोतल, पानी सैट है।"

now who is he?

इसकी भाषा भी टपोरी वाली हो गई। कमाल करता है ये मामा का लड़का भी। पानी को ऐसे 'सैट' बोला जैसे इसकी 'लाइफ सैट' हो गई है।

बाबा रे, मैं बोला था न - सब मोह माया है, सब मोह माया है!

1 : 00 बजे (दोपहर) : धूप में बैठ कर उन छतों को देखा जहाँ रस्सियों पर कपड़े सूख रहे थे। दूर तक कोई नज़र नहीं आया। 

मामा के लड़के ने कहा,"मतलब आज उस घर में लोग नहाए हैं।" 

बड़ा लॉजिक वाला बन्दा है रे तू बल्लू। 

बल्लू यानी बलविंदर सिंह। वाह क्या नाम है!

4 : 00 बजे - वही पुराने चेहरे लेकिन 24 घंटे के बदलाव के साथ। इनके नाम A to Z तक कहे जा सकते हैं। 

[ वैधानिक चेतावनी : कृपया भावनाओं पर मत जाएँ। इस पोस्ट का किसी से कोई लेना-देना नहीं। इस ब्लॉग का लेखक दुनिया का सबसे फ्री आदमी है, जो शब्दों के साथ दिन-भर खेलता रहता है। ]

हाँ, तो मैंने वही चेहरों की बात की थी। कोई लड़की है पर लड़के-सा स्टाइल है। कोई अपनी उम्र से ज्यादा mature लगता है। सब बड़ा ही अजीब है इस घण्टे में। यह हफ्ते के 6 दिन होता है। 

एक ने कहा कि वह सोन-पापड़ी का फैन है। किसी को काज़ू-कतली इतनी स्वाद लगती है कि वह उसके लिए बीच सड़क पर खड़े होकर A-B-C-D तक सुना सकती है। मुझे गाजर का हलवा याद दिला दिया। अब मैं अपने बेकाबू मन को कैसे रोकूँ। 

"अब सहा नहीं जाता, दिल पुकारे गाजर-हलवा"

मैं काबू पा ही रहा था कि रसगुल्ले याद दिला दिए। अब तो मैंने दोनों हाथों से कुर्सी पकड़ ली। 

बहुत हुआ, काम पर ध्यान दो।

5 : 15 बजे : हैडफोन लगा कर धीमा संगीत सुन रहा हूँ। यह है असली राहत। 

पहले ऐसा होता था कि playlist में गाने बदलते रहते थे। जब से jersey फ़िल्म का एक गाना आया है मैंने उसे ही बार-बार एक घंटा सुना था। आजकल "मैं चला तेरी तरफ..." दो-दो घंटे लगातार सुन रहा हूँ।

मुझे खुद समझ नहीं आ रहा है what's happening?

गाने का यूट्यूब लिंक -

9 : 45 बजे : कहीं बैण्ड बज रहा है। फिल्मी गीत एक आदमी गा रहा है जिसका सुर बकवास है। वही male और female सिंगर बनकर गाता है। हद है, it's too much!!

आखिर में उस किताब का हिस्सा जिसे मैं लंबे समय लिख रहा हूँ :

"चलना इंसानी फ़ितरत है। रुकना ज़िन्दगी को एक बस्ते में समेट लेता है। साँस लो न लो, क्या फ़र्क पड़ता है। ज़िन्दगी समझौता करने के बाद मौत की राह नहीं देखती।" 

-आपका
हरमिन्दर 😊


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