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'तुसी चुप रहो' और magnet वाली properties


जब मैं यह लिख रहा हूँ मुझे गर्मी का अहसास हो रहा है। कारण कम्बल हो सकता है या जैकेट जो मैंने सुबह से पहनी हुई है। मौसम आपको बदलाव की ओर ले जाता है। बदलाव ज़िंदगी में जरूरी होता है।

"तुसी चुप रहो।" उसने इतना बोला और मुझे ऐसा लगा जैसे फूलों की बारिश हो रही हो। सचमुच मैं उसकी ऐसी बातें सुनना चाहता हूँ।

हर किसी को एक "तुसी चुप रहो" कहने वाले इंसानों की जरूरत है। हँसिये, मुस्कराइए और दिल की धड़कन को तेज कीजिए। क्यों ऐसा हुआ न। आप मुस्कुराए।

पता है, रुलाना बहुत आसान है। किसी को हँसाना बहुत ही मुश्किल। यानी मैं मुश्किल काम करता हूँ -दूसरों को हँसाता हूँ! 😊

सुबह 9 बजे : कुरियर वाला आने वाला था। फोन पर मैसेज आया था। कुछ घरेलू सामान हैं। पाँच सौ का नोट छुट्टा करना है। OK, It's Done.

जब दरवाजे पर वह आया तो छोटी डॉगी ने भौंकना शुरू कर दिया। 

"अरे! कुछ नहीं, तू क्यों tension में आ रही है।" उसे मैंने समझाने की कोशिश की। अब वो क्या समझी या नहीं समझी, चुप होकर रेत में अंगड़ाई लेने लगी।

11 : 00 बजे : जब वह कपड़े सुखाती है तो आधे कपड़े बाँधने पड़ते हैं। ऐसा मुझे उस आदमी ने बताया था कई दिन पहले जिसकी पत्नी पड़ोस के मोहल्ले में रहती है। दरअसल मेरी उससे मुलाकात ओवर ब्रिज के नीचे तब हुई जब मैं बगड़ियों के पास एक चूल्हा लेने गया था। वो भी चूल्हा लेने आया हुआ था।

आज वह आदमी साधू के भेष में मुझे थाना चौक पर मिला। मैंने झट से पहचान लिया।

"आप, इस रूप में।" मैंने कहा।

"आप, पगड़ी के बिना, cap पहने हुए। सब ठीक है न।" उसने मुझे घूरा। 

फिर हमने एक दुकान के आगे रखी बेंच पर कुछ देर बातें की। उसकी कहानी शार्ट में सुनाई जाए तो यह है :

ट्रक चलाता था। कोविड की वजह से ट्रांसपोर्ट बंद। घर पर आ गया। परिवार का खर्चे के लिए अलग-अलग काम किए। आखिर में साधू का काम successful रहा। सो दाड़ी और बाल बढ़ा लिए।

"बढ़िया। शुभकामनाएं आपको।" मैंने उसके दमकते चेहरे को देखा और उस लंबे तिलक को देखता रहा जिसे उसने अपने माथे से नाक तक खींच रखा था।

दोपहर 1 : 00 बजे : जब घर पहुँचा पसीना गर्दन से सफर करता हुआ कमर को पार करता हुआ VIP के लोगो से टकराने वाला था उससे पहले ही मैंने शर्ट निकालकर खुद को तौलिए से पोंछ लिया।

So relaxing !!

2 : 00 बजे : एक फोन ने मेरे होश उड़ा दिए -

"हैलो! आपको वो व्हाट्सएप गलती से चला गया था।" उनकी मधुर आवाज़ भला मैं कैसे भूल सकता हूँ। 

"कोई बात नहीं।" मैं तो वो वीडियो भी बार-बार देख चुका था जिसमें भूकंप आ रहा था। क्या सीन था वो। मैं कुर्सी से उठ बैठा था।

"वो हम कुछ शॉपिंग करने वाले थे न, इसलिए वो फोटो डिज़ाइन के लिए भेजे थे।" उन्होंने कहा।

फिर मैंने सोचा कि चलो फोटो तो मान लिए लेकिन उस वीडियो का क्या जिसमें भूकंप के दौरान जो आवाज़ें आ रही थीं, वो बड़ा ही खतरनाक लगा। लेकिन फिर मैंने सोचा भूकंप में तो चीज़ें इसी तरह हिलती हैं।

सुबह वही महिला अपने पड़ोस की दूसरी महिला से बात कर रही होती है। सब हिला कर रख दिया रात। आज कारपेंटर बुलाया है। लेकिन वो मन ही मन खुश हो रही होती है। GUESS WHY? ☺️

4 : 00 बजे : क्या बात है आज हर किसी के चेहरे पर चमक है। Leave it. Come to the TOPIC.

"चिल्लाओ मत। तुम हर किसी से इसी तरह लड़ती हो?"

"जी नहीं, मैं ऐसी ही हूँ।"

"OH! I Can Get."

"Shut up!"

वाह! क्या बात है। 

रहने दो भाई तुमसे न हो पाएगा। तुम हँसो, मुस्कराओ और बैंड बजाओ।

9 : 45 बजे : कम्बल में गर्मी लग रही है, उतार फेंका।

दूर हो जा मेरी नज़रों से। अब वापस खुद को उढवाना नहीं। चल हट परे को। 

आज कोई बारात नहीं है। कोई बैंड नहीं बज रहा। कितनी शांति है।

कुछ प्रण जो हर किसी को इस पोस्ट को पढ़ने के बाद लेने चाहिए :

1. किसी से कभी "तुसी चुप रहो" मत कहो। सामने वाले का दिल पिघल जाता है। अब हर कोई पत्थर दिल तो मेरी तरह हो नहीं सकता।

2. कभी किसी को बार-बार "Shut up" मत कहो बेचारा बुरा मान जाता है। अब हर कोई मेरी तरह ऐसी बातों को फालतू की समझने वाला तो होता नहीं।

3. हर किसी को सुबह उठने के लिए कहते रहो। एक न एक दिन बदलाव होगा। 

4. हर किसी को किताब पढ़ने के लिए बार-बार कहते रहो। किसी न किसी दिन उसका दिमाग बदलेगा। 

ऐसा क्यों होगा : जब आप किसी magnet को दूसरी magnet से बार-बार रगड़ते हैं, दूसरी magnet में उसकी कुछ properties आ जाती हैं। इसलिए कोशिश करते रहिए, दुनिया में कुछ भी बदला जा सकता है। बदलाव अच्छे होते हैं। कभी try कीजिए। अच्छा लगेगा।

10 : 00 बजे : उफ! ये DJ फिर शुरू हो गया। आज तो मैं घर पर ही हूँ। गाना कौन चेंज करेगा रे मामू! 😊

आपका
one and only
हरमिन्दर


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